अंबरनाथ शहर मे विमुक्त रैली का जल्लोषपुर्ण आयोजन

अंबरनाथ शहर मे विमुक्त रैली का जल्लोषपुर्ण आयोजन
संवाददाता : अंबरनाथ
भारत देश को अंग्रेजो की गुलामगीरी से छुडाने के लिये कई स्वतंत्रता सेनानीयोंने प्राणोंकी आहुती दी यह बात तो सभी जानते है, पर अंग्रेजो के खिलाफ खुला विरोध और अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ बगावत करनेवाली जनजातीयों को गुनहगार कानून के तहत सन 1871मे बंदी बनाया गया, यह बात हर कोई नही जानता।
 15 अगस्त 1947 को देश आझाद हुआ, 26 जनवरी 1950 को हम‌ने संविधान लागू किया और गुनहगार जनजातीयोंको विमुक्त 31 अगस्त 1952 मे घोषित किया। इसी बात को याद करके विमुक्त दिन मनाया जाता है।
 अंबरनाथ शहर मे विमुक्त घुमंतु जनजाती के लोग बडी संख्या मे रहते है, इन सभी को एक करने हेतू तथा समाज मे जनजागृती करने के लिये विमुक्त रैली का आयोजन किया गया ऐसी जानकारी भटके विमुक्त सामाजिक संस्था के अध्यक्ष सुंदर डांगे द्वारा दी गयी।
समाज के प्रति हमारा उत्तरदायीत्व समाज को विकास के प्रवाह मे सामील करना होना चाहिये, हमारी प्रतिबद्धता सशक्त और जागरूक समाज का निर्माण होना चाहिये।उसके लिये हमे चुनोतीयों को स्विकार करना होगा।
अंबरनाथ शहर के हनुमान मंदिर, वांद्रापाडा से इस रैली की सुरूवात हुई, महापुरूषोंको पुष्पमाला अर्पण कर अभिवादन किया गया। शहर के हुतात्मा चौक पर सभी विमुक्त घुमंतु जनजाती के कलाकारो ने अपनी कला का प्रदर्शन किया और लोगोंका मनोरंजन किया।
मदारी समाज की बच्ची ने रस्सीपर चलकर सभीको अचंभीत किया तो नंदीबैल के करतब सभी को पसंद आये, चाबुक से अपने आपको मारकर मनोरंजन करनेवाले कलाकार तथा संस्कृती की रक्षा हेतू अपने बंजारा लिबास मे सामिल माता बहने इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण थी, ऐसी जानकारी मनीलाल डांगे द्वारा दि गयी। कार्यक्रम को सफल करने हेतू सहयोग करनेवाले सभी समाजप्रेमी विमुक्त घुमंतु जनजाती के लोगों का आभार प्रदर्शन किया।

टिप्पण्या

या ब्लॉगवरील लोकप्रिय पोस्ट

उल्हासनगर मध्ये पुन्हा एकदा नवजात बच्चू ला जन्मताच शौचालय मध्ये फेकले

श्रीराम हाऊसिंग फायनान्स मधून लोन घेताय तर सावधान श्रीराम हाउसिंग फायनान्स आणि जे पी रेजन्सी यांनी महिलेची केली फसवणूक

"उचल" एकांकिकेला प्रथम क्रमांकाचा गोपीनाथ सावकार पुरस्कार